श्रीमद दशावतार कथा
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इमामशहा महाराजांचा परिचय
सदगुरु श्री इमामशाह महाराज का जन्म इ.स. 1440 मे पंजाब के उच्च मुलतान मे हुआ था. सदगुरु श्री इमामशाह महाराज चार साल की उम्र मे शाळा मे विधा लेने गये थे और आठ ही दिन मे सब विधा प्राप्त कर ली. अपनी दिव्य शक्ति से मानव कल्याण के हेतुसर सतपंथ धर्म प्रचार के लीये 12 वर्ष की उम्र मे समग्र भारत के सब ज्ञाती मे उपदेश दीया था. ऊनके सारथी चंदनवीर ऊनके साथ रहे थे. उनके साथ रहने के पर लोग उनको हाजर वीर के नाम से भी पुकारते थे. उनकी उम्र 40 वर्ष की थी. अत मे सदगुरु श्री इमामशाह महाराज गुजरात की भुमी मे आये. और श्री कृष्ण भगवाने द्रवापर युग के अंतिम समसे कुंवारीका भूमि स्थळका निर्माण कीया था. उनके अनुसंधान से सदगुरु श्री इमामशाह महाराज अखंड भारतमे वैदिक सतपंथ सनातन धर्म प्रचार करते-करते अतमे पीराणा (अमदावाद) मे श्री सतपंथ प्रेरणापीठ की स्थापना की. ओर फीर सदगुरु श्री इमामशाह महाराज वैदिक सतपंथ सनातन धर्म प्रचार के लीये महाराट्र की भुमी मे आये और थोडे दिनो के बाद महाराट्र भुमी पर श्री सतपंथ धर्मपीठ फैजपुर(महाराट्र) की स्थापना की.
सदगुरु श्री इमामशाह महाराज असंख्य दुःखी जीवात्त्माओ का दःख दुर कीये थे. जिसमे आंधे को आखे, मूंगा को वाणी, वांजीयाको पारणां, बहेराको सुनाता और मूत को सजीवन कीया. सदगुरु श्री इमामशाह महाराज ने अनेक चमत्कार कीये थे और करते है. |